Saturday 16 May 2020

मैरा स्थित चेरो साम्राज्यकालीन मिट्टी का गढ़


Chero Empire era mud fort at Maira.
कोचानो नदी के तट पर मिला कुषाणकालीन गढ़
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उत्तर गुप्तकालीन मूर्तियां कह रही हैं अपनी कहानी
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प्रभात खबर, 28 जुलाई,2008
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धनसोई (बक्सर): जिला मुख्यालय बक्सर से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित समहुता पंचायत के पटखौलिया गांव के समीप कोचानो नदी के तट पर मैरा गांव के दक्षिण में बक्सर व रोहतास जिले की सीमा पर कुषाणकालीन गढ़ की खोज शोध अन्वेषक द्वारा किया गया है। गढ़ पर मिल रहे  मृदाभांडों के अवशेष व गढ़ पर स्थापित प्रतिमा कुषाणकालीन सभ्यता की कहानी बयां कर रही हैं। गढ़ से प्राप्त पूरा पुरावशेषों में ब्लैक बेयर, रेड बेयर, ब्लैक स्लिप गढ़ की प्राचीनता पर अपनी मुहर लगा रही हैं। विदित हो कि जिले में डॉ. के.पी. जायसवाल शोध संस्थान, पटना द्वारा ऐतिहासिक पुरावशेषों का अन्वेषण कराया जा रहा है। उक्त अन्वेषण के दौरान ही शोध अन्वेषक सुरेंद्र कुमार सिंह ने रविवार को मैरवा गांव की समीप स्थित उक्त गढ़ पर पहुंच अन्वेषण कार्य किया। शोध अन्वेषक सुरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि उक्त कार्य जिले में पुरातत्ववेत्ता व मगध विश्वविद्यालय बोधगया के प्रोफेसर डॉ. अनंत कुमार सिंह की देखरेख व निर्देशन में कराया जा रहा है। गढ़ के अनुसंधान के पश्चात श्री सिंह ने बताया कि यह गढ़ अतिप्राचीन रहा है। आज भी यह गढ़ समतल भूमि से लगभग  12 फीट ऊंचाई पर है। गढ़ के 5 फुट की ऊंचाई पर स्थापित तीन प्रतिमाएं  हैं,जिसमें दो लाल बलुई पत्थर के स्लैब पर काम कर बनाया गया है। मूर्ति का अलंकरण भी कम नहीं है। एक प्रतिमा की चार भुजा है, जो किसी पशु पर बैठी हुई स्थित में है। प्रतिमा का चेहरा तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्त्री प्रतिमा के पुख्ता प्रमाण हैं। उक्त मूर्तियों में एक प्रतिमा 16 इंच लंबा एवं 9 इंच चौड़ा है, जो ध्यान मुद्रा में है। यह प्रतिमा पुरुष की है। प्रतिमा की आसपास स्लैब पर नक्काशी और साज- सज्जा देखते बनती है।  उक्त प्रतिमाएं  उत्तर गुप्तकालीन सभ्यता की कहानी बयां कर रही हैं। सूत्र बताते हैं कि मैरा गांव का पुराना नाम मोहरवा था। उक्त शोध कार्य से ग्रामीण जहां काफी उत्साहित दिखे, वहीं उनमें अपनी विरासत व गांव के इतिहास को मानचित्र पर देखने की ललक भी दिखाई दी। मैरा गांव के रहने वाले साहित्यकार व बुद्धिजीवी लक्ष्मीकांत मुकुल कहते हैं कि हम सब इस कार्य से काफी हर्षित हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि उक्त गढ़ का उत्खनन कार्य कराया जाए, ताकि यह क्षेत्र भी ऐतिहासिक मानचित्र पर अपनी पहचान बना सके। वही मैरा गांव के ही मदन तिवारी, उदय नारायण पाल, एवं सुदामा राम आदि ने तो सरकार से इस पूरे क्षेत्र को पर्यटक ग्राम के रूप में विकसित करने की मांग की है।



बंडागढ़ पर  मिला दो हजार वर्ष पुराना अवशेष
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मृदभांड, रेड वेयर,ब्लैक वेयर,ब्लैक स्लिप आदि मिले
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प्रभात खबर, 21 जुलाई, 2008
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धनसोई (बक्सर): धनसोई थाना क्षेत्र के समहुता पंचायत के कथराई गांव के समीप स्थित "बंडागढ़" पर दो हजार वर्षों से भी पहले के मृदभांड के पुरावशेष प्राप्त हुए हैं। उक्त पुरावशेषों के प्राप्त होने से बंडागढ़ के गर्भ में कई पुरानी सभ्यताओं के राज दबे होने की संभावना शोध अन्वेषकों द्वारा व्यक्त की जा रही है। शनिवार को सुरेंद्र कुमार सिंह ने बंडागढ़ पहुंच अन्वेषण का कार्य किया। अन्वेषण के उपरांत प्राप्त पुरावशेषों को आधार पर श्री सिंह ने कोचानो नदी के तट पर बसे बंडागढ़ की महत्ता को उजागर करते हुए कहा कि यह गढ़ अति प्राचीन प्रतीत हो रहा है। यहां से प्राप्त मृदभांड, रेड बेयर, ब्लैक बेयर, ब्लैक स्लिप को देखने से कुषाण कालीन व गुप्तकालीन रहन-सहन एवं सामाजिक व्यवस्था इस क्षेत्र में स्थापित होने की संभावना को जहां बल मिलता है, वही नदी किनारे स्थापित होने से व्यापारिक केंद्र होने की संभावना भी बन रही है। मगध विश्वविद्यालय के ए एन  कॉलेज पटना के इतिहास के छात्र राकेश कुमार निराला का मानना है कि बक्सर जिला इस तरह की ऐतिहासिक उपलब्धियां से भरा पड़ा है ।धनसोई थाना क्षेत्र को ही जल्दी लिया जाए, तो इस क्षेत्र में अमरपुर सिसौंधा, बन्नी, उधोपुर सहित आसपास के कई गांव का यदि अन्वेषण व खुदाई का कार्य कराया जाए, तो कई चौंकाने वाले रहस्य उभारेंगे।

 वहीं स्थानीय लोग बताते हैं कि यह गढ़ कभी रतन सिंह के गढ़ के नाम से जाना जाता था और यह रतनपुरा नाम से भी प्रसिद्ध था। प्राचीन किंबदंतियों की माने तो इस गढ़ की आस-पास आबादी भी बसी हुई थी, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ गढ़ से उत्तर पश्चिम की कोने पर कथराई गांव बस गया है और यह गढ़ आज वीरान हो गया है। गढ़ को काट काट कर खेत में  मिलने में तत्काल में  लोग लगे हुए हैं। गढ़ के समीप एक कुआं भी है, जो अब समाप्ति के कगार पर है। उसके संबंध में लोग बताते हैं कि उक्त कुएं का निर्माण भी पुराने जमाने की ईंट से हुआ है। उक्त गढ़ का संबंध चेरो - खरवार से भी लोग जोड़ते हैं और उक्त कुएं में चिरो - खरवारों के हथियारों का जखीरा भी दबे होने की कहानी सुनी सुनाई जाती है। जब  उक्त गढ़ के संबंध में जब स्थानीय समूहता  पंचायत के मुखिया महेश प्रसाद एवं स्व. महंथ सिंह स्मृति किसान क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह से राय जाना गया तो उक्त लोगों ने सरकार व पुरातत्व विभाग से उक्त गढ़ की खुदाई करने के साथ-साथ धनसोई को पर्यटक ग्राम घोषित कर विकसित करने की मांग की।

मैरा गढ़ पर प्राप्त पुरातन बड़े आकार के ईट...☝️
एवं उस अवस्थित प्राचीन काल की मूर्तियां...👇
समीप स्थित गंगाढी गांव के पश्चिम दिशा में पोखरा के पास स्थित चतुर्भुज की प्राचीन मूर्ति....👇

दैनिक जागरण, 09अक्टूबर,2023


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