Friday, 13 March 2020

लक्ष्मीकांत मुकुल के दू गो भोजपुरी गजल

लक्ष्मीकांत मुकुल के दू गो भोजपुरी गजल

गजल 1:- 


मन काहें दो टूटल बाटे           
नइया बीचही फूटल बाटे      
                   
रिश्ता नाता लथराइल बाटे                      
करमी के जस खूँटल बाटे                       

आम बइर ना लउके कतहूँ                      
चिन्हास गाँव के लूटल बाटे                 

  हेरा गइल सुतार कटिया के                  
   खेत धधकत इहे पूछत बाटे                     

 मिलल देह ना मिलल नेहिया                    
  माहुर से दिन हर घूँटल बाटे



गजल 2 :-  


गँवे गँवे कइसन खराँस भरल जाता 
 गुड़ही जिलेबिया तितास भरल जाता    


                                   
   साँझ भोर कुछो समुझ में त आइत 
 मधि दुपहरिये कुहास भरल  जाता          


 भोज भोजहरिया ना गाँव में सोहाता 
 झुझुन बिकास के थपास भरल जाता        


 होरी लुटात बाड़ें मुखिया  दुआर पर  
 जोजना के आस  झलाँस भरल जाता

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