Wednesday 31 July 2024

लक्ष्मीकांत मुकुल की कविताओं पर शाहनवाज़ ख़ान की टिप्पणियां

लक्ष्मीकांत मुकुल की कविताएं गहन संवेदनशीलता और ग्रामीण जीवन की विविधताओं को दर्शाती हैं। प्रत्येक कविता में एक अलग दृष्टिकोण और अनुभूति है। यहाँ प्रत्येक कविता की संक्षिप्त समीक्षा प्रस्तुत है।

*1. चिड़ीमार*
इस कविता में कवि ने गांव में आने वाले चिड़ीमारों के माध्यम से भय और असुरक्षा की भावना को चित्रित किया है। गांव के शांतिपूर्ण वातावरण में अचानक से घुसपैठ करने वाले ये चिड़ीमार ग्रामीणों के लिए डर और अस्थिरता लाते हैं। कविता में तितलियों, नीम के पेड़, गिलहरियों और कचबचिया चिरैयों के माध्यम से प्रकृति का जीवंत चित्रण है।

*2. लाल चोंच वाले पंछी*

कविता लाल चोंच वाले पंछियों के माध्यम से मौसम और ग्रामीण जीवन की विविधताओं का वर्णन करती है। इन पंछियों का आगमन और उनकी गतिविधियाँ धान की कटनी के समय को और भी जीवंत बना देती हैं। कवि ने पंछियों की गतिविधियों के माध्यम से प्रकृति की सुन्दरता और ग्रामीण जीवन की जीवंतता को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।

*3. छोटी लाइन की छुक-छुक गाड़ी*

यह कविता कवि के बचपन की यादों और समय के साथ बदलते परिवेश को दर्शाती है। छोटी लाइन की छुक-छुक गाड़ी का वर्णन करते हुए कवि ने उन दिनों की मासूमियत, सरलता और ग्रामीण जीवन की गतिशीलता को प्रस्तुत किया है। यह कविता पुराने दिनों की स्मृतियों और आधुनिकता के आगमन के बीच के अंतर को स्पष्ट करती है। 

*4 फिर से देखना शुरू किया इस दुनिया को*

इस कविता में कवि ने प्रेम की अनूठी अनुभूति को व्यक्त किया है। प्रकृति के तत्वों और रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजों के माध्यम से प्रेम की गहराई और उसकी व्यापकता को दर्शाया गया है। प्रेम के कारण कवि ने दुनिया को एक नई दृष्टि से देखना शुरू किया और हर चीज़ में सुंदरता को महसूस किया।

*5. बोधा वाला पीपल*
कविता बोधा सिंह द्वारा लगाए गए पीपल के पेड़ के माध्यम से मानवीय संबंधों और भावनाओं की गहराई को दर्शाती है। पीपल का वृक्ष केवल एक पेड़ नहीं है, बल्कि यह विभिन्न पीढ़ियों और समुदाय के लोगों के जीवन का हिस्सा है। कवि ने पीपल के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं और समाज के बदलते परिवेश को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।

*6. कुलधरा के बीच मेरा घर*

यह कविता गाँवों की वीरानगी और बदलते समय के साथ उनके खंडहर होते स्वरूप को दर्शाती है। कवि ने अपने घर और आसपास के खंडहरों के माध्यम से उन लोगों की कहानी सुनाई है जिन्होंने गांव छोड़कर शहरों की ओर रुख किया। कविता में वीरान खंडहरों के बीच कवि के घर का उल्लेख ग्रामीण जीवन की मजबूती और उसके अद्वितीयता को दर्शाता है।

लक्ष्मीकांत मुकुल की कविताएं ग्रामीण जीवन की विविधताओं, मानवीय संवेदनाओं और प्रकृति की सुंदरता को बड़ी गहराई और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करती हैं। उनकी कविताओं में भाषा का सौंदर्य और भावनाओं की गहनता साफ झलकती है।

***********युद्ध के रंग************
इस कविता में युद्ध के विभीषिका का मार्मिक और संवेदनशील चित्रण किया गया है। कवि ने युद्ध के विभिन्न रंगों के माध्यम से उसकी भयावहता को प्रस्तुत किया है। यहाँ कविता की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं:

1. **भयावह चित्रण**: कवि ने रक्तरंजित नदियों और धूसर रेत का उल्लेख करते हुए युद्ध के प्रभाव को बहुत ही प्रभावी ढंग से व्यक्त किया है। यह दर्शाता है कि युद्ध न केवल भौतिक विनाश लाता है, बल्कि मानवीय आबादी को भी अपनी चपेट में ले लेता है।

2. **हिरोशिमा का संदर्भ**: हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले का उदाहरण देकर कवि ने युद्ध के काले रंग की गहराई और उसके लंबे समय तक बने रहने वाले प्रभाव को बताया है। बच्चों के बस्ते, किताबें और पेंसिलें गलकर मिट्टी में मिल गईं, यह दर्शाता है कि युद्ध ने मासूम बचपन को भी नहीं बख्शा।

3. **शांति और हरियाली का अभाव**: कवि ने युद्ध के रंगों में हरापन (शांति और खुशहाली का प्रतीक) के अभाव को रेखांकित किया है। यह दिखाता है कि युद्ध में लोगों के मुस्काते चेहरे, कहकहे और आत्मिक आभास नहीं होते। युद्ध सिर्फ विनाश और दुख ही लाता है।

4. **रासायनिक बरूद और मरू प्रदेश**: मानवजनित रासायनिक बरूदों की धमक से उत्पन्न धूल और गुब्बार का उल्लेख करते हुए कवि ने युद्ध के परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरणीय विनाश और मरुस्थलीकरण का जिक्र किया है। 

5. **काव्यात्मक भाषा**: कविता की भाषा सरल, परंतु अत्यंत प्रभावशाली है। शब्दों का चयन और बिम्बों का उपयोग कविता को और भी प्रभावशाली बनाता है।

कुल मिलाकर, यह कविता युद्ध की विभीषिका और उसके मानवीय और पर्यावरणीय प्रभावों का गहरा और संवेदनशील चित्रण करती है। कवि ने अपने शब्दों के माध्यम से पाठक के दिल और दिमाग को झकझोर कर रख दिया है, जिससे वे युद्ध की वास्तविकता और उसके विनाशकारी परिणामों को महसूस कर सकें।



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